“ समय हमेशा ज्यादा जटिल होता है, ज्यादा बड़ा होता है, ...आप उन सबको नहीं समझ सकते बस रियेक्ट कर सकते हैं, उसको काउंटर करना कविता में बहुत आसान नहीं , कविता उस काम को करने में समर्थ नहीं है..”.
राजेश जोशी
राजेश जोशी- दस्तावेज इंटरव्यू शो
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दरअसल इस पूरे घर का किसी और भाषा में अनुवाद चाहती हुँ
पर वो भाषा मुझे मिलेगी कहाँ
सिवा उस भाषा के जो मेरे बच्चे बोलते हैं
अनामिका
अनुवाद कविता से
“हमारे अंदर भाषा का एक अहंकार है और हम सोचते हैं कि हम सब चीजों को भाषा में पुकार सकते हैं…… हमें ग़लतफ़हमी हो गयी है कि हम हर चीज को नाम दे सकते हैं….. पछियों की भाषा हम नहीं जानते…..पेड़ों की भाषा हम नहीं जानते…. हम समझते है कि हमारी ही भाषा सर्वश्रेष्ठ है…(एक तो ये) इस भाषा के अहंकार को …उनसे हमें बाहर आना चाहिए।”