दस्तावेज : शख्सियत
दस्तावेज : शख्सियत में भारत के वरिष्ठ कवि राजेश जोशी से बातचीत।
कविता के दो पंक्तियों के बीच मैं वो जगह हूँ ….जो सूनी-सूनी सी दिखती है हमेशा…यहीं कवि की अदृश्य परछाईं घूमती रहती है हमेशा


Short Film : City of Dreams 2013
It is a film about life in city. The pressure of survival in the big city will make you lose sight of your dream… Hang in there. ..

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Quote
" हमारे अंदर भाषा का एक अहंकार है और हम सोचते हैं कि हम सब चीजों को भाषा में पुकार सकते हैं...... पछियों की भाषा हम नहीं जानते.....पेड़ों की भाषा हम नहीं जानते.... हम समझते है कि हमारी ही भाषा सर्वश्रेष्ठ है.. इस भाषा के अहंकार को ...उनसे हमें बाहर आना चाहिए। "

राजेश जोशी
कवि
" मुझे लगता है कि सोचने का जो हम लोगों का तंत्र है ...वह एक दूसरे से थोड़ा सा अलग होता है.... स्त्री प्रश्नों से रूबरू होती है जबकि पुरुष प्रश्नों के उत्तर खुद निर्मित कर लेता है.....स्त्री प्रश्नों का अनुसंधान बहुत अच्छा कर सकती है, पुरुष शायद विवरण बहुत अच्छा दे सकता है . "

ममता कालिया
कथाकार
दरअसल, इस पूरे घर का
किसी दूसरी भाषा में
अनुवाद चाहती हूँ मैं
पर वह भाषा मुझे मिलेगी कहाँ
सिवा उस भाषा के
जो मेरे बच्चे बोलते हैं?

अनामिका
कवियत्री
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