लक्की जी गुप्ता का माँ मुझे टैगोर बना दे – सार्थकता और सीमा
कृष्ण समिद्ध कभी-कभी किसी कला के प्रति कलाकार का समर्पण और अभ्यास की प्रक्रिया का प्रभाव इतना बड़ा हो जाता है कि उसकी कला प्रस्तुति पर बात करना गैर जरूरी लगता है। लक्की जी गुप्ता उसी तरह के कलाकार हैं, जिन्होनें निरंतर यात्रा करते हुए अपने रंगकर्म की प्रक्रिया के कद को धीरे-धीरे इतना बड़ा …
लक्की जी गुप्ता का माँ मुझे टैगोर बना दे – सार्थकता और सीमा Read More »