“ समय हमेशा ज्यादा जटिल होता है, ज्यादा बड़ा होता है, …आप उन सबको नहीं समझ सकते बस रियेक्ट कर सकते हैं, उसको काउंटर करना कविता में बहुत आसान नहीं , कविता उस काम को करने में समर्थ नहीं है..”.
राजेश जोशी
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“हमारे समय के कवि इतने समर्थ नहीं हैं, पर मुझे लगता है बहुत सारे समर्थ कवि रहें हैं इस दौर में , पर वो शायद समय की जो क्रूरता है, अमानवीयता है, भय है, संकट है उसको पुरी तरह से कविता में नहीं कर पा रहे हैं, व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं।“
राजेश जोशी
“ कविता में दो तरह की धारा है। एक धारा मानती है कि कवि को एक तरह की काट की अंदाज में लिखना चाहिए। जैसे विनोद कुमार शुक्ल , केदारनाथ सिंह हैं। पर मुझे हमेशा लगा कि मैं एक तरह के मूड नहीं हो रहता, मैंने एक जैसा कोई अच्छा जीवन नहीं जीया , तो एक तरह की कविता क्यों लिखूँ। ….आदमी को बहुत तरह से काम करना चाहिए।”
राजेश जोशी
“कविता के साथ कभी भी फाइनल ड्राफ्ट नहीं हो सकता ।…कविता जब तक कम्प्यूटर में पड़ी रहती है , तब तक जितनी बार खोलता हुँ, उतनी बार उसमें चेंज हो जाती है।.”
राजेश जोशी
“कविता (जो ) को थॉट ( विचार ) के लेबल” से “संवेदना के स्तर पर और कविता में ढ़ालने में समय” ( लगा ) लगता है।“
राजेश जोशी